अकाउन्टिंग के किसे कहते हैं | टेली ईआरपी नाइन में अकौन्टिंग के बारे में जाने | tally erp 9 accounting hindi notes

WHAT IS ACCOUNTING?

Accounting किसी भी organization की विश्लेषण करने, financial information का रिपोर्ट तैयार करने और सभी डाटा का रिकार्ड तैयार करने का एक प्रोसेस है |
Tally ERP 9 Hindi Notes

What is financial year?

Financial Year प्रत्येक वर्ष एक अप्रैल को शुरू होता है और अगले वर्ष 31 मार्च को समाप्त होता है | 
उदहारण के लिए - 
  • 01/04/2024   to 31/03/2025

How to activate gst features in tally erp 9?

  • GST features को add करने के लिए कीबोर्ड से (F11) की प्रेस करें 
  • क्लिक ऑन statutory & taxation
  • अब goods and services tax (GST) yes करें 
  • set/alter GST details को भी Yes करें 
  • नया पेज ओपन होने के बाद स्टेट को सेलेक्ट करें
  • GST नंबर को उसके सामने डालें 
  • और लास्ट आप्शन तक enter प्रेस करते हुए gst को ऑन करें |

Voucher:

Voucher वह डोक्युमेंट होता है जिसपर अलग अलग तरह के business transaction को रिकॉर्ड किया जाता है जैसे वस्तुओं को खरीदना या किसी सर्विस को खरीदना या बेचना |
Business में कई तरह के voucher होते हैं जैस - contra, payment, receipt, purchase, sales, journal and inventory etc.

Types of voucher:

  1. contra (F4)
  2. payment (F5)
  3. receipt (F6)
  4. purchase (F9)
  5. sales (F8)
  6. journal (F7)
  7. inventory (F9)
  8. sales return (ctrl+f8)
  9. purchase return (ctrl+f9)

What is ledger?

Ledger वह रिकॉर्ड होता है जिसमे किसी भी organization के financial transaction के रिकॉर्ड होते है |

What is basic accounting terms?

  1. Business Transaction : जब कोई दो लोग आपस में लेन - देन करें और उस लेन - देन को रिकार्ड किया जाता है और वह लेन - देन मनी के रूप में है तो उस ट्रांजेक्शन को बिजनेस ट्रांजेक्शन कहते हैं | बिजनेस ट्राजेक्शन दो प्रकार का होता है -
    • कैश ट्रांजेक्शन : यदि आप कोई समान ले रहे हैं और उसी समय उसका पेमेंट कर दिए तो इसे कैश ट्रांजेक्शन कहते हैं |
    • क्रेडिट ट्रांजेक्शन : यदि आप कोई सामान ले रहे हैं और उसी समय पेमेंट न करके उसको उधार ले रहे हैं तो ऐसे ट्राजेक्शन को क्रेडिट ट्रांजेक्शन कहते हैं |

What is account?

अलग - अलग कटेगरी के अंदर   सभी लेन - देन को अकाउंट में रिकॉर्ड किया जाता है |

What is capital?

कैपिटल वह अमाउंट होता है जो इन्वेस्ट किया जाता है प्रोपराइटर के द्वारा और पार्टनर के द्वारा बिजनेश के अंदर और कैपिटल पैसा और सामान के रूप में हो सकता है|

What is Drawings?

अगर आप अपने बिजनेस के अंदर से अपने यूज के लिए पैसे निकालते हैं तो उसे ड्राइंग कहा जाता है |

What is Liabilities?

लायबिलिटी का मतलब लोन या करजा होता है और यह लोन / लायबिलिटी दो प्रकार का होता है |
  1. करेंट लायबिलिटी या सोर्ट टर्म लायबिलिटी :  वह करजा जो एक साल के अंदर खतम हो जाये वह करेंट लायबिलिटी होती है |उदाहरण के लिए - बिजली की बिल 
  2. नॉन करेंट लायबिलिटी या लॉन्ग टर्म लायबिलिटी : यह वह लोन होता है जो एक साल से लंबे समय तक चलता है उसे लॉन्ग टर्म लायबिलिटी कहते हैं |

What is asset?

असेट का मतलब सामान होता है लेकिन वह सामान ऐसा होना चाहिए जो भवीष्य में आपको लाभ डे सके | उदहारण के लिए -  लैंड (जायदाद / जमीन), मशीनरी इत्यादि |

Types  of asset:

असेट दो प्रकार का होता है :
  1. करेंट असेट : ये ऐसे असेट होते हैं जो सोर्ट टर्म के लिए होते हैं, ऐसी संपत्ति जो आप पैसा देकर ख़रीदे और उसे बेच दिए और आप उससे पैसा कमा लिए ऐसे असेट को करेंट असेट कहते हैं |
  2. नॉन करेंट असेट : इसे फिक्स्ड असेट भी कहते हैं ये ऐसी संपत्ति होती हैं जिसे हम बेचने के लिए नही रखते हैं लेकिन हम उसे बिजनेस के लिए उपयोग करते हैं जिससे हमारी अर्निंग केपसिटी को बढा सके | उदहारण के लिए -  लैंड, मशीनरी, कंप्यूटर और वेहिकल इत्यादि | यह दो प्रकार का होता है :
      • टेनजिबल :ऐसे असेट जिन्हें आप छू सकते हैं और देख सकते हैं उन्हें एन्जिबल कहते हैं जैसे - मशीन, लैंड इत्यादि | 
      • इन्तेंजिबल असेट : ऐसे असेट जिसे आप न ही देख सकते हैं और न ही छू सकते हैं और न ही उनकी कोइ फिजिकल अस्तित्व होती है उदहारण के लिए - गुड विल , ट्रेड मार्क और कॉपी राइट इत्यादि | गुडविल का मतलब : कंपनी की रेपुटेशन जिसे आप छू  नही  सकते | ट्रेड मार्क: जैसे की मेरा एक बिजनेस है जिसमे एक लोगो है और मे उसको रजिस्टर करा लेता हू तो ओ मेरा बन जाता है जिसे को और युज नहीं कर सकता है |

रिसिप्ट: 

रिसिप्ट एक amount होता है जो गूड्स और सर्विसेस को बेचकर जो पैसे प्राप्त होता है उसे रिसिप्ट कहते है ये दो प्रकार का होता है:
  1. कैपिटल रिसिप्ट : अगर आप अपनी कंपनी के कैपिटल को बेच देते है और उससे जो पैसे मिलते हैं उसे कैपिटल रिसिप्ट कहते हैं उदहारण के : कंपनी का बिल्डिंग या फर्नीचर को बेचना
  2. रिवेन्यु रिसिप्ट : आप अपने बिजनेस का कोई प्रोडक्ट सेल सेल करते है और उससे मिलने वाला पैसा रेवेन्यू रिसिप्ट कहलाता है | उदहारण के लिए पेन बनाने वाली कंपनी पेन बेच के पैसा बना ले |

एक्सपेंडिचर :

 यह वह amount होता जिसे देकर हम गूड्स और एसेट खरीदते है उसी amount को एक्सपेंडिचर कहते है | ये दो प्रकार के होते है |
  1. कैपिटल एक्सपेंडिचर : यदि आप बिल्डिंग खरीद रहे हैं या मशीनरी खरीद रहे हैं और उसे खरीदने के लिए आप जो पैसे देते है उसे ही कैपिटल एक्सपेंडिचर कहते हैं |
  2. रेवेन्यू एक्सपेंडिचर: जैसे की आपका एक बिजनेस है और उसके अंदर आप कोई प्रोडक्ट बनाते है और उसका सेल्स बढ़ाकर अपनी एअर्निंग बढ़ाना है तो उसपे होने खर्चे को ही रेवेन्यू एक्सपेंडिचर कहते हैं

एक्सपेंस:

यह चार प्रकार का होता है :
  1. प्रीपेड एक्सपेंस: यह वह एक्सपेंस होता है जिसमे आपको पहले पैसे देना पड़ता है और उसके बाद आप उसका लाभ उठा पाएंगे | उदहारण के लिए आपके मोबाइल का रिचार्ज जो की प्रीपेड होता है |
  2. आउटस्टेंडिंग एक्सपेंस: यह वह एक्सपेंस होता जिसमे आप पहले फायदा लेते हैं फिर भुगतान करते हैं | उदहारण के लिए - बिजली का बिल -  पहले आप इस्तेमाल करते हैं फिर उसका महीने ले लास्ट में भुगतान करते हैं |
  3. डायरेक्ट एक्सपेंस : यह वह एक्सपेंस होता है जो सीधे उत्पाद से सम्बंधित होता  हैं जैसे रो मटेरिअल, लेबर सेलरी, फैक्ट्री रेंट इत्यादि |
  4. इनडायरेक्ट एक्सपेंस : यह वह एक्सपेंस होता है जो उत्पाद से सीधे सम्बंधित नही होते हैं | उदहारण के लिए - इलेक्ट्रिसिटी बिल

इनकम : 

यह प्रोफिट होता है जो की समय के साथ अर्न किया जाता है |

परचेज:

परचेज का मतलब होता है खरीदना, परचेज का इस्तेमाल वस्तुओं को रिसेल करने के लिए ख़रीदा जाता है | यह दो प्रकार का होता है : 
  1. कैश या नकद परचेज : किसी सामान को खरीदते समय पेमेंट कर देते हैं तो इसे कैश परचेज बोला जाता है |
  2. क्रेडिट या उधार परचेज : किसी सामान को खरीदते समय पेमेंट न करके उस पेमेंट को बाद में करने को उधार या क्रेडिट परचेज कहते हैं | 

sales:

सेल्स का मतलब होता है बेचना, सेल्स का इस्तेमाल वस्तुओ को सेल करने के लिए किया जाता है | यह दो प्रकार का होता है :
  1. कैश सेल्स या नकद सेल्स : यदि कस्टमर वस्तुओं को खरीदते समय ही पेमेंट करता है तो ऐसे सेल्स को कैश सेल्स या नकद सेल्स कहते हैं |
  2. क्रेडिट सेल्स या उधार सेल्स : यदि कस्टमर वस्तुओं को खरीदते समय पेमेंट न करके बाद में पेमेंट करता है तो ऐसे सेल्स को उधार सेल्स या क्रेडिट सेल्स कहते हैं |

परचेज रिटर्न : 

यदि आपने कोई सामान ख़रीदा है और ख़रीदे हुए सामान में किसी भी प्रकार की खराबी है या आपने ज्यादा सामना ले लिया है उसे रिटर्न करते है तो ऐसे रिटर्न को परचेज रिटर्न कहते हैं |

सेल्स रिटर्न :

यदि आपने कोई सामान बेचा है उस सामान में किसी भी प्रकार की खराबी है या कस्टमर को ज्यादा सामान डे दिए हैं कस्टमर उसे रिटर्न करता है तो ऐसे रिटर्न को सेल्स रिटर्न कहते हैं |

Chapter 2

Stock:

यदि बहुत सारा  सामान किसी  कंपनी के द्वारा बेचने के उद्देश्य से रखा गया है, स्टॉक कहा जाता है |

 Types of Stock:

स्टोक्स दो प्रकार के होते हैं :
  1. ओपनिंग स्टॉक : ओपनिंग स्टॉक वो  स्टॉक होता जो एक अप्रैल को हो यानि साल शुरू होते वक्त जो भी सामान अपने पास होता है, ओपनिंग स्टॉक के अंतर्गत आता है |
  2. क्लोसिंग स्टॉक : साल के खतम होते वक्त जो स्टॉक अपने पास बचा होता है क्लोसिंग स्टॉक के अंतर्गत आता है |

Trade Receivable:

जब आप सामान बेचते हैं और उससे मिलाने वाले पैसे को trade receivable कहा जाता है | इसे भागो में वर्गीकरण किया गया है |
  1. Debtor: ये वो व्यक्ति होता है जिसे उधार में सामान बेचीं जाती है 
  2. bill receivable: debtor के द्वारा दिया गया लैटर जिसमे उधार की चुकता करने का व्यवरा होता है उसे ही बिल रिसीवएवल कहते हैं |
  3. trade payable: जो सामान ख़रीदा जाता है और उसी के सन्दर्भ में जो पेमेंट किया जाता है उसे ही ट्रेड पेबल कहते हैं |ये दो भागो में वर्गीकरण किया गया है - 
    • creditor: वह व्यक्ति जिससे कंपनी उधार में कोई सामान खरीदती  है वह व्यक्ति creditor होता है | creditor का हिंदी में मतलब होता है लेनदार यानि की वह व्यक्ति सामान के बदले कंपनी से पैसा लेगा तो कंपनी का लेनदार हुआ |
    • bill payable: यह वह लैटर होता है जिसमे यह लिखा होता है कंपनी ने जो सामान उधार में बेचा है उसका पेमेंट कब करना है |

Goods: 

बिजनेश में जो भी परचेज और सेल्स होता है उसे ही गूड्स कहा जाता है |

Cost of goods sold: 

यह वह डायरेक्ट कोस्ट होती है जो प्रोडक्शन होते वक्त goods और services पर लगायी जाती है |

Book value: 

आपने एक जनवरी 2024 को एक लैपटॉप ख़रीदा जिसकी कीमत 40000 थी उस रेट को आपने एक एक बुक पर नोट कर लिया अब अगले ही दिन उसकी कीमत घटकर (30000) हो गयी अब आप क्या करोगे ऐसे स्थिति में 40000 बुक वेल्यु होगी और घटी हुयी कीमत 30000 मार्केट वेल्यु होगी |

Cost:

इसका मतलब होता लागत यानी प्रोडक्ट बनाने में लगे लागत को ही कोस्ट कहते हैं |

Voucher:

voucher एक एविडेंस होता है मतलब की बिजनेश में होने वाले लेन - दें का साक्ष्य जैसे की cash memo या bill या फिर receipt debit/credit notes इत्यादि |

Entry:

इसका मतलब जब किसी अकाउंट के अंदर किसी भी प्रकार की एंट्री की जाती है तो इसे ही एंट्री करना कहा जाता है |

Discount:

डिस्काउंट का मतलब कस्टमर को किसी भी सामान में छूट देना उसे ही डिस्काउंट कहा जाता है जैसे की 500 रुपये की सामान पर 100 discount देने पर सामान की कीमत 400 रुपये हो जाती है | डिस्काउंट दो प्रकार का होता है 
  1. trade discount : यह डिस्काउंट तब दिया जाता है जब आप उधार में ज्यादा  सामान खरीद रहे हों इसे ही ट्रेड डिस्काउंट कहा जाता है | 
  2. cash discount : यह डिस्काउंट तब दिया जाता है जब आप कम सामान खरीद रहे हो और उसका पेमेंट भी उसी समय कर रहे हो तो उस समय दिया जाने वाला डिस्काउंट कैश डिस्काउंट कहलाता है |

Proprietor:

ये owner होते हैं यानी की मालिक |

Depreciation:

डेपरीशिएशन किसी असेट के वेल्यू (अमाउंट) में जीतनी गिरावट होगी उसी को देपरिशिएशन कहते हैं |

Bad debt:

 bad debt  किसी कंपनी या व्यक्ति को किया गया ट्रांजेक्शन होता जो की संदेह में होता है की मिलेगा या नही तो ऐसे स्थिति में वह कंपनी या व्यक्ति bad debt माना जाता है |

Insolvent:

यह वह व्यकि या एंटरप्रायजेज होता है जो अपने खर्चो को डे नहीं सकते उन्हें ही insolvent  कहा जाता है |

Solvent:

जो व्यक्ति या कंपनी अपने खर्चो को डे सकते है उन्हें solvent कहा जाता है |

Balance sheet:

इसके अंदर एक अप्रैल से लेकर 31 मार्च तक जितने भी ट्रांजेक्शन किये गए होते हैं उनके समरी होती होती है |
की आपने कहाँ कितना खर्चा किया कहाँ कितना प्राफिट कमाया इत्यादि |

Chapter 3

journal entries

What is Journal entries :

जनरल अकाउंट की प्रायमरी बुक है जिसमे हम किसी भी लेन - देंन को chronological order में रिकॉर्ड करते हैं |
जनरल के अंदर जो भी लेनदेन होते हैं हम उसे कैश मेमो, सेल्स, परचेज बिल, पेमेंट इत्यादि source में करते हैं |

जनरल एंट्री कैसे रिकॉर्ड करते हैं :

जनरल एंट्री रिकॉर्ड करने के लिए tally erp ९ में accounting के कुछ golden rules हैं जीने जानना जरुरी है :
इसके अंतर्गत तीन तरह के अकाउंट होते हैं 

Types of Account

Debit

Credit

Personal account

The receiver

The giver

           Real account          

What comes in

What goes out

Nominal account

Expenses and losses

Income and gains

What is personal account:

इसके अंतर्गत किसी व्यक्ति या किसी ओर्गेनैजेशन या किसी कंपनी के अकाउंट आते हैं |
  • suppliers
  • customer
  • corporate bodies and institutions

What is real account:

इसके अंतर्गत  asset अकाउंट आते हैं |
  • building, land
  • furniture
  • cash

What is nominal account:

इसके अंतर्गत जितने भी खर्चे अथवा इनकम आते हैं |
  • sales
  • cost of goods sold
  • salary expense
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